tag:blogger.com,1999:blog-4448836056723948244.post1027747722076427023..comments2023-07-20T08:56:20.830-07:00Comments on श्री समवर्ती समूह: अवधूत समूह रत्न राम प्रवचन माला गुरु पूर्णिमा पर्व १६-७-२०००श्री समवर्ती समूहhttp://www.blogger.com/profile/03660458479815580265noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-4448836056723948244.post-30724078812015938292011-05-04T07:19:34.894-07:002011-05-04T07:19:34.894-07:00जो साधू शिष्य गुरु कि मुद्रा, अवस्था और प्रकृति का...जो साधू शिष्य गुरु कि मुद्रा, अवस्था और प्रकृति का ध्यान किये रहता है, वो वाकई शिष्य होने का अधिकारी है. ऐसा इसलिए क्योंकि गुरु शिष्य नहीं बनाता गुरु गुरु बनाता है.<br /><br /> गुरु उस निहित तत्व को आप अपने समक्ष उपस्थित करते हैं, विशाल चक्र को बहुत से लोग घुमा नहीं पाते हैं, मध्य में वायु का एक तत्व उसे घुमा देता है. गुरु आपके विचारों को एक पगडण्डी पर डालने का प्रयास करते हैं, आप जब उस पगडण्डी पर अपने विचारों के आवागमन को देखते हैं, तो अज्ञात की कृपा के भाजन होते हैं, गुरु की छाया, विचारों से उत्पन्न तरंगो की छाया को प्राप्त करते हैं. हम आप गुरु के सानिध्य में उपस्थित होते हैं, उनके नख मस्तिष्क से निकलती तरंगे आल्हादित करती हैं.<br />baba ji ki jai ho.....................drsatyajitsahu.blogspot.inhttps://www.blogger.com/profile/13453843563860464369noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4448836056723948244.post-72120789454933726052011-05-04T02:57:04.056-07:002011-05-04T02:57:04.056-07:00सतगुरु मिले तो सब मिले ना मिले तो मिला ना कोय
माता...सतगुरु मिले तो सब मिले ना मिले तो मिला ना कोय<br />माता पिता पुत्र बांधव ये तो हर घर होए .....<br /> जय अवधूत बाबा जीabhishek sharma(rahul)https://www.blogger.com/profile/08485730748231061980noreply@blogger.com