Monday, March 7, 2011

अवधूत समूह रत्न राम लीला प्रसंग

प्रिय मित्रों पूज्य बाबाजी से जुड़े भक्तो और शिष्यों के पास ऐसे बहुमूल्य संस्मरण है, जिन्हें सुनकर अघोर संत के जीवन की झलक मिलती है. कैसे बातो बातो में कृपा बरसती है, जिन्हें साधारण जन चमत्कार का भी नाम देते हैं. पूज्य बाबा के आस पास भी बहुत से चमत्कार होते रहते हैं. वस्तुतः यह सब उनकी कृपा है. लीला प्रसंग में हम ऐसे ही संस्मरणों का संकलन करने जा रहे हैं.यह वर्ष १९९९ की बात है, उन दिनों पूज्य बाबाजी की लीला का अलग ही आनंद हुआ करता था. मैं और मेरे गुरु भाई देवेश पंडा बाबाजी के साथ उनके एक भक्त श्री अनुराग अग्रवाल की महावीर गौशाला, रायपुर स्थित दुकान कैट कार पहुंचे. इसी स्थान पर बाबाजी के अनन्य भक्त श्री बृजमोहन अग्रवाल कैबिनेट मंत्री, छत्तीसगढ़ इनके पिताश्री ने पूज्य बाबा का प्रथम दर्शन प्राप्त किया था. अग्रवालजी से जुड़े प्रसंगों पर कभी और चर्चा करेंगे. आज की लीला के मुख्य पात्र श्री लल्लू महेश्वरी है, जो अनुरागजी की दुकान में उपस्थित थे. लल्लूजी आगरा के निवासी थे और जनरेटर की फैक्ट्री के मालिक थे. इसके साथ ही लल्लूजी ज्योतिष और तंत्र के ज्ञाता भी थे. ऐसे ही पूज्य बाबाजी के साथ आध्यात्मिक और पारिवारिक चर्चा चल रही थी. अचानक लल्लूजी ने कहा बाबाजी कुछ चमत्कार भी करते हैं क्या आप, पूज्य बाबाजी ने लल्लूजी की बांह पर हाथ फेर कर कहा " लल्लूजी हो गया चमत्कार". अचानक हम सब देखते हैं की लल्लूजी जो दुकान के बाहरी हिस्से में बैठे होते हैं, उठकर अन्दर जाते हैं, और बाबाजी के चरणों में गिर पड़ते हैं. हमारे समझ में कुछ नहीं आता है. मैं और मेरे गुरु भाई के मन में खलबली मची होती है, हम दोनों गुरुभाई लल्लूजी को थोड़ी देर बाद अलग ले जाकर पूछते हैं की अचानक आपको क्या हुआ जो चरण स्पर्श करने लगे. जो लल्लूजी ने कहा वो अक्षरसः प्रस्तुत है. " कमलजी मैं अपने व्यापार के सिलसिले में हमेशा यात्रा करता रहा हूँ, आज से बीस वर्ष पहले एक ट्रेन से कहीं जा रहा था, सामने एक जटा जुट धारी साधू बैठा था. मैंने मौज में कह दिया " बाबा ऐसे देखा देखि में ही दाढ़ी बाल बढ़ा लिए माला पहन ली या कुछ चमत्कार भी करते हो. साधू ने मेरी बांह पर हाथ फेरा और कहा," जा बच्चा हो गया चमत्कार". उसके बाद से मेरी बांह से गांजे की महक आना शुरू हो गयी. मैं और मेरा परिवार इस बात से बहुत दुखी रहने लगा, क्योंकि जो मेरेपास बैठता उसे वो महक आती. बहुत सालो से मैं हर जगहगया, मंदिर मजार, साधू सन्यासी सबके पास गया पर मेरी समस्या का हल कोई नहीं कर पाया, और आज बीस साल बाद आपके गुरुदेव ने बिलकुल उसी तरह मेरी बांह पर हाथ फेरा और बिलकुल वही वाक्य कहा और मेरी बांहों से वो महक आना बंद हो गयी. "उसके बाद पूज्य बाबाजी ने लल्लूजी से कहा चलो घूम कर आते हैं, मैं, देवेश और लल्लूजी बाबाजी के साथ मारुती वैन में घुमने निकले, गाडी बाबाजी स्वयं चला रहे थे. बातो बातो में बाबा ने कहा लल्लूजी आपके बम्बई वाले घर चलते हैं. लल्लूजी भी आश्चर्य से भर उठे कि बाबा को उस घर के बारे में कैसे पता है. गाडी चलाते हुए ही बाबाजी ने लल्लूजी से कहा कि यह आपके घर का मुख्य द्वार है, यह कमरा और यह नाटे कद का व्यक्ति कौन है....इसी तरह से बाबा बोलते रहे मानो वो उस वक्त लल्लूजी के मुंबई वाले घर में मौजूद हैं. हम सब अवाक रह गए. यह पूज्य बाबा कि लीला का एक अंग था, एक सिद्ध अघोर संत के लिए यह सारी बातें खेल कि तरह है, जिन्हें हम चमत्कार कहते हैं.
अघोरान्ना परो मन्त्रः नास्ति तत्वं गुरो परम
कमल नारायण शर्मा
रायपुर


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