Wednesday, March 9, 2011

औघड़ी चिकित्सा पूज्य बाबा का आशीर्वाद

पूज्य औघड़ बाबा के सानिध्य में बहुत से लोगो का कल्याण होता है. आशीर्वाद देने के तरीके भी अलग होते हैं, किसी को प्रसाद किसी को भस्मी किसी को बोलकर तो किसी को कोई जड़ी बूटी बताकर. पूज्य बाबा बहुधा लोगो को बीमारियों के लिए औषधि बताते है, जो आसपास उगने वाली होती है. ऐसी वनस्पतियाँ जो हमारे आस पास होती हैं, पर जिनके गुणों के बारे में हमें पता नहीं होता है.
                एक दिन पूज्य बाबाजी के साथ मैं और मेरे गुरु भाई श्री राहुल शर्मा टहल रहे थे, बाबा अपने आशिवाच्नो से हमें तृप्त कर रहे थे, तभी पड़ोस में रहने वाली एक बहन अपनी एक ५ वर्ष की बच्ची को लेकर निकली, हमने देखा वो बच्ची मानसिक रूप से विकलांग थी. पूज्य बाबा यह देख कर द्रवित हो गए और कहा कि हम एक औषधि बता रहे हैं जाके इस महिला को बता दो. इसके बाद हमने पूज्यश्री से पुछा कि क्या इस औषधि के बारे में सबको बताना चाहिए तो बाबा ने कहा ज़रूर बताओ. इसलिए आज आपके सन्मुख उस औषधि के बारे में लिख रहा हूँ और भविष्य में औघड़ी चिकित्सा प्रसंग में और औषधियों के बारे में लिखता रहूँगा.

                                                                      मानसिक रूप से विकलांग बच्चो के लिए यह औषधि ५ वर्ष तक सर्वाधिक प्रभाव देती है और १० वर्ष कि आयु तक यह दी जा सकती है. 
पीपल के कोमल पत्ते जो थोड़ी लालिमा लिए होते हैं,  कुछ पत्ते लेकर उसे पुवाल याने पैरे के ऊपर रखकर निचे से अग्नि जलाए, पत्ते भस्म हो जायेंगे, उन्हें बहुत धीरे से उठा ले, इसको  उठाने में बहुत सावधानी  रखनी   पड़ती है, नहीं तो वो बिखर जाते हैं. अब इसी भस्म शहद के साथ सुबह शाम देने से मानसिक विकलांगता समाप्त  हो जाती है. 

                                                       इसके साथ ही बाबा ने कहा कि गुलर वृक्ष के फल कि सब्जी खिलाने से भी मानसिक परिपक्वता आती है. काली तुलसी का रस सुबह और शाम पिलाने से लाभ बढ़  जाता है.

अघोरान्ना परो मन्त्रः नास्ति तत्वं गुरो परम

2 comments:

  1. guru deta sab kuch he par apke patra me nirbhar karta he kitana grahan kar pa rahe ho jay gurudev

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  2. woaoooooooooooooooo...........here comes the white magic..............

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